Success and Love - 1 in Hindi Love Stories by Rohit Kumar books and stories PDF | Success and Love - 1

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Success and Love - 1

सफलता आज के समय में दुनिया में हर कोई सफल बनना चाहता है। कुछ लोग कहते हैं कि," हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है" तो कुछ लोग कहते हैं," औरत भागती ही है सफल आदमी के पीछे"। खैर दोनों बातों में कौन सी बात सही है आप लोग जानते ही होंगे।

सफलता को लेकर हर आदमी की अपनी अलग सोच है। कुछ लोगों का मानना है कि ज्यादा पैसे कमाने वाला या एक अच्छी जिंदगी जीने वाला आदमी सफल है। लेकिन पैसा ही तो सब कुछ नहीं होता। 

 

अगर हम मान लें कि एक आदमी साल का 10 लाख कमाता है और वो अपनी जिंदगी से खुश है, और वही दूसरे आदमी साल का 70-80 लाख कमाता है लेकिन वो अपनी से खुश नहीं है क्योंकि उसे दिन रात का काम करना होता है। तो दुनिया की नज़र में दूसरा आदमी सफल है क्योंकि वो अच्छा काम करता है। लेकिन मेरी नजर में वो पहला आदमी ज्यादा सफल है क्योंकि वो अपनी जिंदगी से खुश है या अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीता है। हर आदमी की जिंदगी को देखने का अपना-अपना नजरिया होता है। समय बर्बाद ना करते हुए चलते हैं अपनी कहानी पर।

तो मेरा नाम है अंकित या मैंने हाल-फिलहाल में अपनी 12वीं क्लास पूरी कर ली है या एमडीयू का एंट्रेंस टेस्ट भी क्लियर कर लिया है। 

 

2 अगस्त 20__

 

तो आज है 2 अगस्त या हम (मैं या मेरा दोस्त गौरव ) जा रहे हैं रोहतक क्योंकि 10 अगस्त से हमारी कक्षाएं शुरू हो रही हैं। सुबह 2:00 बजे बजे से उठ कर तेयार होकर हम पहुच गए रेलवे स्टेशन क्यूकी 3:20 पे हमारी ट्रेन थी। वैसे तो दिल्ली से रोहतक जाने में लगभग एक घंटा लगता है लेकिन वहां पर हमें अपने रहने का ववस्ता भी करना था इसलिए हमने सुबह जाने का फैसला किया। करीब 3:30 बजे हमारी ट्रेन आ गई हम दोनों ट्रेन में चढ़ गए, अपनी सीट पर बैठ गए, ट्रेन शुरू हुई या हमने अपने परिवार को देखा या हाथ हिलाकर उनसे विदा लिया।

 

अपने परिवार से दूर होने का दुख तो था लेकिन मन में एक खुशी भी थी क्योंकि अब हमारी जिंदगी का नया अध्याय शुरू होने जा रहा था। सुबह के बज रहे हैं 5 और हम रोहतक बस पहुंचने वाले हैं क्योंकि हमारी ट्रेन 30 मिनट लेट है। हम जैसे जैसे अपने परिवार से दूर जा रहे हैं हमारे मन में एक डर पेदा होता जा रहा था करीब 5:10 बजे हम रोहतक पहुंचे जैसे ही हमने रोहतक में अपना पहला पैर रखा हमारे मन में बहुत सारे सवाल आ रहे थे थोड़ी देर स्टेशन पर बैठने के बाद हमने सबसे पहले अपने कॉलेज जाने के बारे में मैंने सोचा। फ़िर ऑटो में बैठ कर हम अपने कॉलेज पहुँचे। सुबह के करीब 7 बजे चुके हैं और इस समय कॉलेज में एक भी छात्र नहीं है। तो हमने अपने रहने के लिए रूम ढूंढने के बारे में सोचा। सुबह से शाम हो गई लेकिन हमें एक भी कमरे के किराए पर नहीं मिला। फिर हमने होटल में एक कमरा बुक किया और खाना खाके सोने चले गए

 

अगले दिन......